राह -ए-सफर में हर शख्स कुछ सिखा जाता है ,कोई हंसना कोई रोना सिखा जाता है।
कोई सब छीन लेता है कोई दुनिया लुटा जाता है।
कोई पराया होकर भी दिल में समा जाता है, और
कोई अपना होकर भी पराया हो जाता है।
किस पर यकीं करें हर शख्स यहां ,
मुखौटा लगाए फिरता है।
हम दिल - जान हार जाते हैं और
वो अपनी जीत का जश्न मनाएं फिरता है।
हम सब जानकर भी चुप हैं, और
वो हमारी मोहब्बत का मजाक उड़ाएं फिरता है।
नहीं समझ आया आज तलक ,
कैसे कोई दिल को पेसौं से तोले फिरता है।
राह -ए-सफर में हर शख्स कुछ सिखा जाता है,
कोई हंसना कोई रोना सिखा जाता है।