कभी -कभी यूं भी है होता ,
आपकी अच्छाई लोगों को सुकून नहीं देती,
वो चाहते हैं आप भी बन जाएं बेफिक्रे,
फिक्र उन्हें आवारगी नहीं देती।
रिश्तों की कद्र नहीं उन्हें,
और गुनहगार आपको बताते हैं वो।
शायद याद ही नहीं उन्हें ,
नेकी इंसान को इंसान बनाती है,
पर कामयाबी इंसान को खुदगर्ज बनाती है।
आसान है बहुत अपनी खुशियों में खुश रहना,
मुश्किल है बस किसी को खुशी देना।
कभी-कभी यूं भी होता है,
आपके संस्कार लोगों को पुराने विचार लगा करते हैं,
जरा कोई बताए उन्हें,
मीठे फल पुराने दरख़्तों पर ही लगा करते हैं,
नए पेड़ तो हवा के झोंके से ही झुकने लगते हैं।
पतझड़ में भी जो छांव देंते हैं ,
वो पेड़ जमीं से जुड़े हुआ करते हैं।
बहुत सस्ती है बेपरवाही दोस्तों
कीमत तो परवाहीगी की चुकानी पड़ती है।