कद्र करो वक्त् की जिसके होने से अस्तित्व है आपका,
कद्र करो लोगों की जिन्हें परवाह है आपकी,
ना ही बिते हुए पल वापिस आते हैैं, और
ना ही बिछड़े हुए लोग लौट आते है।
कद्र करो रिश्तों की जिनसे पहचान है आपकी,
कद्र करो दोस्तों की जिनसे दुनिया है आपकी,
ना ही टूटे हुए रिश्ते फिर जुड़ते हैं, और
ना ही रुठे हुए दोस्त फिर मिलते हैं।