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विक्रम और बेताल की बेमिसाल कहानियां -भाग 1

Writer's picture: Anu GoelAnu Goel

Updated: Nov 9, 2024

विक्रम और बेताल की कहानियाँ हम सबने  पढ़ी और सुनी है परंतु आज कल ये कहानियां कहीं खो गयी हैं। इनकी जगह मोबाइल ने ले ली है। हमारे  बच्चे भी इन कहानियों को पढ़कर शिक्षा प्राप्त कर सकें इसी उद्देश्य से हम विक्रम बेताल की कहानियां का संग्रह आप सबके लिए लाए हैं। आप सब से नम्र निवेदन है कि अपने बच्चों को ये कहानियां जरूर सुनाएं। विक्रम और बेताल की कहानियां भारतीय लोककथाओं का एक संग्रह है, जो राजा विक्रमादित्य और एक प्रेत (बेताल) के बीच संवाद पर आधारित है। यह कहानियाँ मुख्य रूप से ज्ञान, नैतिकता, और जीवन की जटिलताओं पर प्रकाश डालती हैं।

Vikram Betaal Sories for kids

प्रमुख कथानक: 

इन कहानियों के प्रमुख पात्र राजा विक्रमादित्य एक वीर, बुद्धिमान और न्यायप्रिय राजा थे। एक तांत्रिक उन्हें आदेश देता है कि वे एक पीपल के पेड़ पर लटके बेताल (प्रेत) को पकड़कर लाएँ। विक्रम बेताल को पकड़ने के लिए कई बार प्रयास करते हैं, लेकिन बेताल हर बार उन्हें एक नई कहानी सुनाता है और कहानी के अंत में एक कठिन प्रश्न पूछता है। अगर विक्रम सही जवाब देते हैं, तो बेताल वापस पेड़ पर लौट जाता है। विक्रम का साहस और धैर्य देखकर बेताल उन्हें अपनी हर कहानी में उलझाने का प्रयास करता है।

प्रमुख विषय:

प्रत्येक कहानी में बेताल विक्रम से नैतिकता, न्याय और बुद्धिमत्ता से संबंधित सवाल पूछता है।

ये कहानियाँ हमें निर्णय लेने, न्याय और मानव व्यवहार की गहरी समझ देती हैं।

विक्रम और बेताल की कहानियाँ रोमांचक और मनोरंजक तो हैं ही , साथ ही ये हमें सही और ग़लत के विषय में सोचने पर भी मजबूर करती हैं।


विक्रम बेताल की एक प्रसिद्ध कहानी है: 

Vikram Betaal stories for kids

"राजकुमार और राजकुमारी की परीक्षा"


कहानी: प्राचीन काल में एक राजा था, जिसकी एक सुंदर राजकुमारी बेटी थी। उस राजकुमारी के विवाह के लिए अनेक राजकुमारों ने प्रस्ताव भेजे। राजा ने सोचा कि अपनी बेटी के लिए सबसे योग्य वर कैसे चुना जाए। अंततः राजा ने एक प्रतियोगिता की घोषणा की और कहा कि जो राजकुमार सबसे अधिक वीर, बुद्धिमान और धैर्यवान होगा, वही राजकुमारी से विवाह करेगा।

तीन राजकुमार प्रतियोगिता में पहुंचे। प्रतियोगिता के अंत में, तीनों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, और राजा उलझन में पड़ गया कि किसे चुनें। तब राजा ने एक और परीक्षा ली। राजा ने राजकुमारी को एक गहनों की थाली के साथ एक कमरे में बैठा दिया और कहा कि जो राजकुमार सबसे पहले उस कमरे में जाकर राजकुमारी से गहने लेकर वापस आएगा, वही योग्य माना जाएगा।

पहला राजकुमार कमरे में गया और राजकुमारी से गहने माँगे। राजकुमारी ने बिना किसी झिझक के गहने दे दिए। दूसरा राजकुमार भी गया और उसने भी गहने ले लिए। लेकिन जब तीसरा राजकुमार अंदर गया, तो उसने गहने लेने से इनकार कर दिया और कहा, “मुझे तब तक गहने नहीं चाहिए, जब तक तुम अपनी मर्जी से नहीं देना चाहतीं।” राजकुमारी ने मुस्कुराते हुए उसे गहने दे दिए, और राजा ने उसे अपनी बेटी के लिए योग्य समझा।

बेताल का प्रश्न: बेताल ने विक्रम से पूछा, "राजा ने तीसरे राजकुमार को ही क्यों चुना? पहले दो राजकुमारों ने भी गहने तो ले लिए थे।"

विक्रम का उत्तर: विक्रम ने उत्तर दिया, "तीसरे राजकुमार ने धैर्य, सम्मान और समझदारी दिखाई। उसने राजकुमारी की मर्जी का सम्मान किया और उसकी सहमति मिलने पर ही गहने लिए। यह उसके चरित्र की श्रेष्ठता और सम्मान को दर्शाता है, जो उसे एक अच्छा पति बनाता है। इसलिए राजा ने उसे चुना।"

विक्रम का उत्तर सुनकर बेताल ने फिर से अपना वचन तोड़ा और पेड़ पर लौट गया।

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