top of page
Writer's pictureAnu goel

नवरात्रि और हिंदू नववर्ष🙏🙏🙏


हिंदू नववर्ष को विक्रम संवत, नव संवत्सर, गुड़ी पड़वा‌ भी कहा जाता है। विक्रम संवत का आरंभ सम्राट विक्रमादित्य द्वारा किया गया था। इसमें तिथि की की गणना सूर्योदय के आधार पर की जाती है। आज के दिन महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा और आंध्र प्रदेश में गुड़ी पड़वा पर्व मनाया जाता है। लोग गुड़ी पड़वा को नया साल के पहले दिन के रुप में मनाते हैं।


विक्रम संवत के प्रथम दिन से ही बसंत नवरात्रि का प्रारंभ होता है, जो चैत्र नवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिन होता है और मां दुर्गा की पूजा के लिए घरों में कलश स्थापना किया जाता है।

Durga maa

वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ । वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ।। दुर्गा को सर्वप्रथम शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता हैं। देवी ने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है।

मां शैलपुत्री ही सती के नाम से भी जानी जाती हैं। एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया और सभी देवी-देवताओं को निमंत्रित किया, परंतु भगवान शंकर को निमंत्रण नहीं दिया । अपने पिता के घर में इतना विशाल यज्ञ है यह जानकार माता सती भी यज्ञ में जाने के लिए ज़िद करने ‌लगी। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है, हमें नहीं बुलाया गया है। ऐसे बिना बुलाए जाना ठीक नहीं है। परंतु माता सती के बार-बार बोलने पर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी।

सती जब अपने पिता के घर यज्ञ मे शामिल होने पहुंचीं तो सिर्फ मां ने ही उन्हें स्नेह दिया उनकी बहनों ने उनका और भगवान शिव का उपहास उड़ाया। उनके पिता दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक बातें कहीं । जिससे माता सती को बहुत अधिक दुख हुआ। वे अपने पति का यह अपमान सहन नहीं कर सकीं और वही यज्ञ की अग्नि में कूदकर खुद को जलाकर भस्म कर लिया। जब भगवान शिव को अपनी पत्नी के सती होने का पता चला तो उन्हें अत्यंत दुख हुआ और क्रोध में उन्होंने दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया। फिर अगले जन्म में यही माता सती शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। इन्हें पार्वती और हेमवती के नाम से भी बुलाया जाता हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ।

navratri and durga maa

शैलपुत्री की आरती

शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार। शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी। पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे। ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू। सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी। उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो। घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो। श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं। जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

maa kaali



1 view0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page