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ध्यानलिंगम्

Writer's picture: Anu GoelAnu Goel

Updated: 5 minutes ago

ध्यानलिंगम् एक विशिष्ट और शक्तिशाली आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र है, जिसे सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने ईशा योग केंद्र (कोयंबटूर, तमिलनाडु) में स्थापित किया है। इसे किसी भी विशेष धर्म, परंपरा या पूजा-पद्धति से जोड़कर नहीं देखा जाता, बल्कि यह सभी आध्यात्मिक साधकों के लिए एक ऊर्जा स्रोत है।

ध्यानलिंगम् की स्थापना की कहानी बहुत रोचक और प्रेरणादायक है। यह कहानी सद्गुरु जग्गी वासुदेव की आध्यात्मिक यात्रा और उनके द्वारा स्थापित किए गए इशा फाउंडेशन के उद्देश्यों को दर्शाती है।

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सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत 1980 के दशक में की थी। उन्होंने अपने गुरु के मार्गदर्शन में ध्यान और योग का अभ्यास किया और जल्द ही उन्हें अपने जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति हुई।


सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने महसूस किया कि आध्यात्मिक विकास और आत्म-ज्ञान के लिए एक उपयुक्त स्थल की आवश्यकता है। उन्होंने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर एक ऐसे स्थल की तलाश शुरू की, जहां वे अपने आध्यात्मिक अभ्यास को जारी रख सकें और दूसरों को भी इसका लाभ उठाने का अवसर प्रदान कर सकें।



1990 के दशक में, सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने तमिलनाडु के कोयंबत्तूर में एक उपयुक्त स्थल की खोज की। उन्होंने इस स्थल पर एक आश्रम की स्थापना की और इसे "ध्यानलिंगम" नाम दिया।


ध्यानलिंगम् का निर्माण एक लंबी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया थी। सद्गुरु जग्गी वासुदेव और उनके अनुयायियों ने इस परियोजना में अपना समय, प्रयास और संसाधन लगाए। उन्होंने इस स्थल को एक आध्यात्मिक केंद्र में परिवर्तित करने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया।



आज, ध्यानलिंगम् एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक केंद्र है, जो दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करता है। यहां पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और सत्र आयोजित किए जाते हैं, जिनमें ध्यान, योग, और आत्म-विकास पर चर्चा की जाती है। ध्यानलिंगम का मुख्य उद्देश्य लोगों को अपने आध्यात्मिक विकास और आत्म-ज्ञान के लिए प्रेरित करना है।

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ध्यानलिंगम् की विशेषताएँ:

  1. ऊर्जा से भरा हुआ लिंग – ध्यानलिंगम् को इस तरह स्थापित किया गया है कि यह किसी भी मंत्र या पूजा के बिना भी गहरे ध्यान की स्थिति को उत्पन्न कर सकता है।

  2. धर्म-निरपेक्षता – यह किसी भी धार्मिक मान्यता से जुड़ा नहीं है और इसे कोई भी व्यक्ति ध्यान करने के लिए उपयोग कर सकता है।

  3. अद्वितीय निर्माण – ध्यानलिंगम् लगभग 13 फीट ऊँचा है और इसे प्रतिष्ठित करने में कई वर्षों की साधना और ऊर्जा स्थानांतरण की प्रक्रिया लगी थी।

  4. ध्यान के लिए उपयुक्त वातावरण – इसे विशेष रूप से ध्यान और आंतरिक विकास के लिए बनाया गया है, जहाँ साधक सहज रूप से गहरे ध्यान में उतर सकते हैं।

  5. तीन ऊर्जा आयाम – इसमें सातों चक्र पूरी तरह सक्रिय हैं, जिससे यह हर साधक को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार ऊर्जा प्रदान कर सकता है।



ध्यानलिंगम् का उद्देश्य:

यह स्थान उन लोगों के लिए बनाया गया है जो आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ना चाहते हैं और गहन ध्यान की अवस्था में जाना चाहते हैं। यहाँ कोई अनुष्ठान या पारंपरिक पूजा नहीं होती, बल्कि मौन में बैठकर ध्यान करने की परंपरा है।

अगर आप ध्यानलिंगम् जाने की सोच रहे हैं, तो यह एक अत्यंत शांत और गहन आध्यात्मिक अनुभव देने वाला स्थान है, जहाँ ध्यान करने से मानसिक शांति और आंतरिक ऊर्जा का अनुभव किया जा सकता है।

ध्यानलिंगम् की प्रेरणा प्राचीन भारतीय योगिक परंपराओं से मिली, विशेष रूप से उन संतों और योगियों से जिन्होंने ऊर्जा केंद्रों (लिंग) की स्थापना के माध्यम से ध्यान और आध्यात्मिक उत्थान को बढ़ावा दिया। सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने ध्यानलिंगम् की स्थापना का विचार कई उच्चतर योगिक अनुभवों और महर्षि अगस्त्य जैसे महान ऋषियों की शिक्षाओं से प्रेरित होकर किया।

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प्रेरणा के प्रमुख स्रोत:


  1. महर्षि अगस्त्य और योगिक परंपरा:

    • प्राचीन काल में, महर्षि अगस्त्य और अन्य सिद्ध योगियों ने ऊर्जा स्थलों की स्थापना की थी, जहाँ ध्यान करने से साधकों को आत्मसाक्षात्कार में सहायता मिलती थी।

    • ध्यानलिंगम् भी इसी परंपरा का एक आधुनिक रूप है, जिसे साधकों के लिए ऊर्जा से भरपूर ध्यान केंद्र के रूप में स्थापित किया गया है।

  2. सद्गुरु का आध्यात्मिक अनुभव:

    • सद्गुरु ने ध्यानलिंगम् को स्थापित करने से पहले कई वर्षों तक गहन साधना की।

    • उन्होंने अनुभव किया कि यदि एक स्थान पर सातों चक्र पूरी तरह सक्रिय कर दिए जाएं, तो साधकों को सहज रूप से ध्यान में गहराई तक जाने में सहायता मिलेगी।

  3. प्राचीन मंदिरों और ऊर्जा स्थलों से प्रेरणा:

    • भारत में प्राचीन शिवलिंगों को ऊर्जा केंद्रों के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता था, जहाँ लोग केवल उपस्थिति से ही आध्यात्मिक रूप से लाभान्वित होते थे।

    • ध्यानलिंगम् इसी ऊर्जा विज्ञान पर आधारित है, लेकिन इसे किसी विशेष धार्मिक परंपरा से नहीं जोड़ा गया है, ताकि हर व्यक्ति इसे उपयोग कर सके।



सद्गुरु का दृष्टिकोण:

सद्गुरु के अनुसार, ध्यानलिंगम् केवल एक पत्थर की मूर्ति नहीं है, बल्कि यह शुद्ध ऊर्जा का स्रोत है, जो किसी भी व्यक्ति को ध्यान और आत्मबोध की ओर ले जाने में सहायक है। उन्होंने इसे एक ऐसे स्थान के रूप में बनाया, जहाँ कोई भी व्यक्ति बिना किसी विशेष ज्ञान या विधि के, मात्र मौन में बैठकर ध्यान कर सकता है और आध्यात्मिक ऊर्जा से लाभान्वित हो सकता है।


इसकी कहानी आध्यात्मिक रहस्यों से भरी हुई है। इसे संसार का पहला "ऊर्जायुक्त लिंग" माना जाता है, जो ध्यान करने वालों को सहज रूप से आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।


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ध्यानलिंगम् बनने की कहानी

1. ध्यानलिंगम् की अवधारणा

सद्गुरु का मानना था कि साधकों के लिए एक ऐसा स्थान होना चाहिए, जहाँ वे किसी भी धार्मिक मान्यता या विधि के बिना गहरी ध्यान अवस्था में जा सकें। यह लिंग किसी पूजा-पाठ से जुड़ा नहीं, बल्कि केवल ध्यान और ऊर्जा के लिए समर्पित है।

2. महान योगियों का आशीर्वाद

ध्यानलिंगम् का निर्माण एक साधारण कार्य नहीं था। सद्गुरु के अनुसार, इसे पूर्णरूप से ऊर्जायुक्त करने के लिए कई महान योगियों और साधकों का योगदान आवश्यक था। वे इसे एक विशेष आध्यात्मिक प्रक्रिया द्वारा ऊर्जायुक्त करना चाहते थे, जिसे "प्राण प्रतिष्ठा" कहा जाता है।



3. सद्गुरु की पत्नी का बलिदान

ध्यानलिंगम् के निर्माण के दौरान, सद्गुरु की पत्नी, विजयकुमारी (वीरा), ने अपनी जीवन-ऊर्जा को समर्पित कर ध्यानलिंगम की ऊर्जा को पूर्णता प्रदान की। यह एक गहन तांत्रिक प्रक्रिया थी, जिसके तहत उन्होंने महासमाधि ले ली।

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ध्यानलिंगम् की स्थापना की प्रक्रिया:

ध्यानलिंगम् को स्थापित करने की प्रक्रिया एक साधारण मूर्ति स्थापना नहीं थी, बल्कि इसमें 3 साल तक लगातार ऊर्जा स्थानांतरण (प्राण प्रतिष्ठा) की प्रक्रिया चली, जिसमें सद्गुरु और अन्य साधकों ने अपनी ऊर्जा समर्पित की। यह प्रक्रिया भारत के प्राचीन मंदिर विज्ञान और ऊर्जा सिद्धांतों पर आधारित थी।

ध्यानलिंगम् को बनाने में कई वर्षों का परिश्रम लगा। जब यह पूरी तरह से तैयार हुआ, तब 23 जून 1999 को इसे ऊर्जायुक्त (प्राण प्रतिष्ठित) किया गया। इस प्रक्रिया में सद्गुरु ने अपनी ऊर्जा का संचार किया, जिससे यह लिंग एक दिव्य ऊर्जा केंद्र बन गया।



ध्यानलिंगम् की बनावट, सामग्री और निर्माण में लगा समय:

ध्यानलिंगम् केवल एक पारंपरिक मूर्ति नहीं है, बल्कि यह एक ऊर्जा संरचना है जिसे विशेष वैज्ञानिक और योगिक प्रक्रियाओं के अनुसार तैयार किया गया है। इसकी बनावट, निर्माण सामग्री और निर्माण प्रक्रिया इसे अन्य मंदिरों और शिवलिंगों से अलग बनाती है।


1. ध्यानलिंगम् की बनावट (Architecture & Design)

ध्यानलिंगम् का संपूर्ण डिजाइन योगिक विज्ञान और प्राचीन मंदिर वास्तुकला के सिद्धांतों पर आधारित है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • लिंग की ऊँचाई: 13 फीट 9 इंच

  • लिंग का व्यास: 9 फीट

  • ध्यानलिंगम् गुंबद (Dome):

    • ध्यानलिंगम् एक विशाल Story के नीचे स्थित है, जिसे बिना किसी पिलर (स्तंभ) के बनाया गया है।

    • इस गुंबद की ऊँचाई 33 फीट और व्यास 76 फीट है।

    • यह पूरी तरह से ईंट, पत्थर और प्राकृतिक पदार्थों से बना है।

  • ऊर्जा संरचना:

    • इसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि इसमें सातों चक्र (मूलाधार से सहस्रार तक) सक्रिय रूप से स्थापित किए गए हैं, जिससे यह एक संपूर्ण ऊर्जा स्रोत बन गया है।

  • योगिक विज्ञान पर आधारित:

    • इस लिंग को विशेष ध्यान प्रक्रियाओं के माध्यम से ऊर्जावान बनाया गया है, जिसे प्राण प्रतिष्ठा कहा जाता है।

    • यह किसी भी पूजा-पाठ के बिना साधकों को ध्यान में सहज रूप से ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।



2. ध्यानलिंगम् की निर्माण सामग्री (Materials Used)

ध्यानलिंगम् और इसका गुंबद पूरी तरह प्राकृतिक और पारंपरिक सामग्री से बनाया गया है।

  • ध्यानलिंगम्:

    • मुख्य लिंग ग्रेनाइट (Granite) पत्थर से बना है।

    • इसे विशेष रूप से कर्नाटक की खदानों से निकाला गया था।

  • ध्यानलिंगम् के आधार:

    • आधार को ठोस पत्थरों से तैयार किया गया है, जिससे यह हजारों वर्षों तक स्थिर रह सके।

  • गुंबद निर्माण:

    • पारंपरिक ईंटों, पत्थरों और प्राकृतिक सामग्रियों से तैयार किया गया है।

    • इसमें किसी भी प्रकार की स्टील या कंक्रीट (सीमेंट) का उपयोग नहीं किया गया है।

    • यह दुनिया का सबसे बड़ा बिना सहारे (Self-Supporting) गुंबदों में से एक है।

  • आंतरिक ऊर्जा संरचना:

    • ध्यानलिंगम् को प्रतिष्ठित करने के लिए कई प्रकार की धातुओं और विशेष ऊर्जावान सामग्रियों का उपयोग किया गया, जिससे इसमें सातों चक्रों को सक्रिय किया जा सके।

    • प्रतिष्ठा प्रक्रिया के दौरान विशेष रूप से ध्यान साधना और ऊर्जा स्थानांतरण की विधियों का उपयोग किया गया।



3. निर्माण में लगा समय (Time Taken for Construction)

ध्यानलिंगम् का निर्माण एक साधारण प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि यह एक ऊर्जा विज्ञान पर आधारित जटिल कार्य था।

मुख्य चरण और समयावधि:

  1. नियोजन और डिज़ाइन (Planning & Design): लगभग 2 साल

  2. भौतिक निर्माण (Physical Construction): लगभग 3 साल

  3. ऊर्जा प्रतिष्ठा (Consecration Process): 3 वर्षों तक चली विशेष प्रक्रिया

कुल समय:

ध्यानलिंगम् को पूरा करने में कुल 8-9 वर्ष लगे। इसमें से सबसे महत्वपूर्ण चरण ऊर्जा प्रतिष्ठा थी, जिसे सद्गुरु और उनकी टीम ने बहुत ही ध्यानपूर्वक किया।

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ध्यानलिंगम् का उपयोग और लाभ

ध्यानलिंगम् केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऊर्जावान केंद्र (Energy Center) है, जिसे ध्यान और आंतरिक रूपांतरण के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य साधकों को सहज रूप से ध्यान की गहराई में ले जाना और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देना है।

1. ध्यानलिंगम् का उपयोग कैसे करें?

ध्यानलिंगम् में किसी विशेष पद्धति, मंत्र, या पूजा की आवश्यकता नहीं होती। यहाँ कोई अनुष्ठान नहीं होता, केवल मौन में बैठकर ध्यान किया जाता है।

मुख्य ध्यान विधियाँ:

  1. मौन में ध्यान (Silent Meditation)

    • व्यक्ति केवल ध्यानलिंगम् के समक्ष बैठकर मौन धारण कर सकता है।

    • इसकी ऊर्जा किसी भी व्यक्ति को ध्यान की गहरी अवस्था में ले जाने में सक्षम है।

  2. संगीत ध्यान (Nada Aradhana)

    • दिन में तीन बार विशेष संगीत (नाद आराधना) बजाया जाता है, जिससे ध्यान करना आसान हो जाता है।

    • यह संगीत लिंग की ऊर्जा को साधकों के लिए अधिक ग्रहणशील बनाता है।





  1. ऊर्जा अवशोषण (Energy Absorption)

    • ध्यानलिंगम् में प्रवेश करने से ही व्यक्ति इसकी ऊर्जा से प्रभावित होता है।

    • यहाँ बैठकर केवल श्वास पर ध्यान केंद्रित करना भी लाभकारी होता है।

  2. ध्यानलिंगम् परिसर में घूमना

    • ध्यानलिंगम् परिसर विशेष रूप से इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यहाँ का हर तत्व ध्यान प्रक्रिया को गहरा करने में सहायक हो।

    • नंदी मंडप, जल क्षेत्र (Theerthakund), और अन्य स्थान साधकों की ऊर्जा को संतुलित करने में मदद करते हैं।


2. ध्यानलिंगम् के लाभ

ध्यानलिंगम् को इस तरह प्रतिष्ठित किया गया है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी ध्यान पद्धति से परिचित हो या न हो, इसकी ऊर्जा से लाभ उठा सकता है।

आध्यात्मिक और मानसिक लाभ:

  • ध्यान की सहज अवस्था प्राप्त होती है।

  • मन की शांति और संतुलन बढ़ता है।

  • आंतरिक ऊर्जा (Prana) को संतुलित करता है।

  • भावनात्मक स्थिरता और सकारात्मकता लाता है।

  • आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है।

शारीरिक लाभ:

  • तनाव और चिंता को कम करता है।

  • ऊर्जा स्तर को बढ़ाता है, जिससे शरीर और मन अधिक सक्रिय और शांत रहते हैं।

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुधारने में मदद करता है।



ऊर्जा और चक्र जागरण:

  • ध्यानलिंगम् में सभी सात चक्र पूरी तरह से सक्रिय हैं, जिससे कोई भी साधक अपनी ऊर्जा को उच्चतर स्तर पर ले जा सकता है।

  • यहाँ बैठने से व्यक्ति के भीतर ऊर्जा प्रवाह को जागृत करने में सहायता मिलती है।

3. कौन ध्यानलिंगम् का उपयोग कर सकता है?

ध्यानलिंगम् किसी भी धर्म, जाति, या मान्यता से परे एक सार्वभौमिक ऊर्जा स्थल है। इसे कोई भी व्यक्ति उपयोग कर सकता है:

  • साधक (Spiritual Seekers) जो ध्यान और आध्यात्मिकता में गहराई तक जाना चाहते हैं।

  • ध्यान में नए लोग जो किसी विशेष पद्धति के बिना भी शांति और आंतरिक ऊर्जा अनुभव करना चाहते हैं।

  • तनावग्रस्त व्यक्ति जो मानसिक शांति और संतुलन की तलाश में हैं।

  • पर्यटक और जिज्ञासु लोग जो ऊर्जा स्थलों के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व को समझना चाहते हैं।

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निष्कर्ष:

ध्यानलिंगम् एक साधारण शिवलिंग नहीं, बल्कि एक ऊर्जा संरचना है, जो किसी भी साधक को गहरे ध्यान में जाने में सहायता कर सकती है। इसकी बनावट योगिक विज्ञान पर आधारित है, इसकी सामग्री पूरी तरह प्राकृतिक है, और इसे बनाने में लगभग 8-9 वर्षों का समय लगा।


इसका निर्माण आधुनिक इंजीनियरिंग और प्राचीन भारतीय योगिक विज्ञान का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो पूरी दुनिया के साधकों को ध्यान और आध्यात्मिकता के अनुभव में सहायता करता है।

ध्यानलिंगम् की प्रेरणा प्राचीन योगियों, महर्षि अगस्त्य की शिक्षाओं, भारतीय ऊर्जा स्थलों, और स्वयं सद्गुरु के गहन योगिक अनुभवों से मिली। यह एक ऐसा स्थान है, जो किसी भी साधक को ध्यान में गहराई तक ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है, भले ही उसे ध्यान की कोई पूर्व जानकारी न हो।



ध्यानलिंगम् केवल एक मूर्ति या धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली ऊर्जा केंद्र है, जिसका उपयोग ध्यान, मानसिक शांति, और आध्यात्मिक विकास के लिए किया जाता है। यह एक ऐसा स्थान है, जहाँ बिना किसी विशेष विधि या गुरु के मार्गदर्शन के भी कोई व्यक्ति ध्यान की गहराई को अनुभव कर सकता है।

सद्गुरु का मानना है कि यह मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक योगदान है और यह सहस्राब्दियों तक ध्यान करने वालों की सहायता करता रहेगा।

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