कुछ अप्रिय घटनाओ की वजह से कभी कभी कुछ ऐसे अविष्कार हो जाते हैं जो इतिहास रच देते हैं ।
यह घटना सन् 2004 की है, जब भारतीय मूल के सुंदर पिचाई जिन्हें आप सब जानते हैं कि उनका पूरा नाम सुंदर पिचाई सुंदराजन है और वो एक व्यवसायी हैं जो अल्फाबेट कंपनी के सीईओ और उसकी सहायक कंपनी गूगल एलएलसी के सीईओ हैं।
उन दिनों वो अमरीका में रह रहे थे और अल्फाबेट (गूगल इसी का प्रोडक्ट है) में काम कर रहे थे। सुंदर के एक दोस्त ने उन्हें सपरिवार अपने घर डिनर पर आने का निमंत्रण दिया। सुंदर पिचाई को कुछ आवश्यक काम था इसलिए उन्होंने पत्नी अंजलि से कहा कि वह आफिस से सीधा अपने दोस्त के घर डिनर पर आएंगे तो वह भी समय से सीधे दोस्त के घर पहुंच जाएं।
अंजलि अपनी कार से ठीक समय पर आठ बजे दोस्त के घर पहुंच गईं और सुंदर पिचाई भी अपने ऑफिस से दोस्त के घर जाने के लिए समय से निकल गए लेकिन पता नहीं क्यों और कैसे वह अपने दोस्त के घर का रास्ता भटक गए। काफी इधर उधर धक्के खाते पता पूछते - पूछते हुए वह किसी तरह दो घंटे की देरी से यानी करीब रात के दस बजे अपने दोस्त के घर पहुंचे।
सुंदर पिचाई के वहां पहुंचने से पहले उनकी पत्नी अंजलि उनका काफी इंतजार करके उनके दोस्त के साथ डिनर करके अपने घर के लिए निकल चुकी थीं। जब सुंदर पिचाई वहां दो घंटे देरी से पहुंचे तो उन्हें काफी बुरा महसूस हुआ और बहुत शर्मिंदगी हुई । इसलिए सुंदर पिचाई भी वहां से बिना कुछ खाए अपने घर के लिए चले गए।
अपने घर पहुंचने पर समय से दोस्त के घर डिनर पर न पहुंचने के लिए घर पर उनका अपनी पत्नी अंजलि के साथ उनका झगड़ा भी हुआ जिससे उनको बेहद अफसोस हुआ और वह रात में ही फिर से अपने ऑफिस जाने के लिए वापस निकल गए।
वह रात सुंदर पिचाई ने अपने ऑफिस में ही गुजारी और रात भर वह यही सोचते रहे कि वह अपने दोस्त के घर का रास्ता कैसे भटक गए और जैसे वह रास्ता भटक गए वैसे तो न जाने कितने लोग ऐसे ही रोज रास्ता भटक जाते होंगे और ना जाने कितनी मुश्किलों का सामना करते होंगे। तभी उन्होंने सोचा कि कुछ ऐसा बनाया जाएं जिससे लोग रास्ता नहीं भटके और समय पर सही जगह पहुंच जाएं। ये सब सोचे-सोचते उन्हें ख्याल आया कि अगर उनके पास मैप होता तो उन्हें बड़े आराम से सही रास्ता मिल जाता।
सुबह होते ही सुंदर पिचाई ने अपनी पूरी टीम के साथ मीटिंग की और डिजिटल मैप बनाने का प्रस्ताव उन सबके सामने रखा। परंतु पिचाई की टीम ने उनका सुझाव सुनते ही जवाब ना में दिया। सभी ने सदस्यों ने कहा कि ऐसा हो पाना संभव ही नहीं है। परंतु, सुंदर पिचाई ने हार नहीं मानी और अगले कुछ दिनों तक इसी विषय पर मीटिंग करते रहे। इसके बाद एक ऐसा प्रॉडक्टर डिजाइन करने पर सहमति बनी जो लोगों को उनके फोन पर उनके गंतव्य का रास्ता बताएगा।
इसके बाद सुंदर पिचाई, हैसब्रो और उनकी टीम इस नए प्रोजेक्ट पर कई महीनों तक गंभीरता से काम करने पर जुटी रही और कड़ी मेहनत के बाद वर्ष 2005 में गूगल मैप बनकर सबसे पहले अमरीका में लॉन्च किया गया। इसके बाद इस पर और काम किया गया और वर्ष 2006 में यह ब्रिटेेन में लॉन्च हुआ।
भारत में लॉन्च करने से पहले गूगल ने इस पर काफी काम किया और दो साल के अपग्रेडेशन के बाद वर्ष 2008 में यह सर्विस भारत में शुरू हुई। तब से सभी देशों में चरणबद्ध तरीके से इसकी सेवाएं शुरू की गईं और गूगल मैप आज करीब-करीब सभी देशों में लोगों को रास्ता बताने में उनकी मदद कर रहा है और लोगों को सही समय पर उनके स्थान पर पहुंचा रहा है।
इसने समय पर पहुंचाने के साथ- साथ लोगों की सुरक्षा में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आप अब घर बैठे-बैठे अपने फोन पर अपने परिजनों की खोज खबर भी ले सकते हैं। इससे बुजुर्गों और महिलाओं के लिए अकेले सफर करना बहुत आसान और सुरक्षित हो गया है।
अब आपको कहीं जाने से पहले दस बार सोचना नहीं पड़ता अकेले कैसे जाएं नयी जगह है हमें तो रास्ता भी नहीं पता, कहीं भटक गए या टैक्सी ड्राइवर गलत जगह ले गया तो ।अब इन सब उलझे हुए सवालों का एक ही जवाब है- गूगल मैप।
अब हमें कहीं जाना होता है तो मेरी छोटी सी बेटी भी बोलती है मां फिक्र करने की कोई बात है बोलो गूगल बाबा की जय और चलो घूमने 😊
हमें भी विपरीत परिस्थितियों से हार नहीं माननी चाहिए क्योंकि अगर सुंदर पिचाई भी बस सोचकर थककर रह जाते तो आज गूगल मैप का अविष्कार नहीं होता और आप हम आज भी रास्ता भटक रहे होते।
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