देव दीपावली (या देव दीवाली) एक प्रमुख हिंदू पर्व है जो कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे "देवताओं की दीपावली" कहा जाता है और यह दीपावली के पंद्रह दिन बाद मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा कार्तिक मास का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। खासतौर पर यह पर्व वाराणसी (काशी) में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
पर्व का महत्व:
ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवता स्वर्ग से पृथ्वी पर आकर गंगा नदी के तट पर दीप जलाकर भगवान शिव की आराधना करते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन पांडवों का दुख समाप्त हुआ था।
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा एक विशेष महत्व है। इस दिन जप, दान, पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पुण्य कई कई गुणा प्राप्त होता है और पापों का नाश होता है।
इस दिन इन पांच घटनायें हुई है ,जिनकी वजह से कार्तिक पूणिमा का हिन्दू धर्म में अधिक महत्त्व है, तो आईए जानते हैं इन पांच विशेष घटनाओं के बारे में -
1.भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार
विष्णु पुराण के मुताबिक, भगवान विष्णु ने अपने दस अवतारों में पहला अवतार मत्स्य अवतार का रूप धारण किया था।
मत्स्य अवतार में उन्होंने प्रलय काल के दौरान वेदों की रक्षा की थी।भगवान् का यह अवतार कार्तिक पूर्णिमा के दिन होने से वैष्णव मत में इस पूर्णिमा का विशेष महत्त्व है।
2.भगवान शिव बने त्रिपुरारी
शैव मत के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव को त्रिपुरारी का नाम मिला था। ऐसी मान्यता है
कि इस दिन महादेव ने ख़ास रथ पर बैठकर अजेय असुर त्रिपुरासुर का वध किया था। इस राक्षस के मारे जाने से तीनों लोकों में फिर से धर्म की स्थापित हुआ और देवताओं ने दीपक जलाएं थे।
कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं।
3.पांडवों का दुःख समाप्त हुआ
महाभारत युद्ध में पांडवों के सगे संबंधियों की असमय ही मृत्यु हुई थी इनकी आत्मा को शांति कैसे मिले? इसे लेकर पांडव बहुत दुखी थे। पांडवों के दुःख को देखकर कृष्ण भगवान ने पितरों की शांति का उपाय बताया
यह उपाय कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के कृष्ण अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक की विधि शामिल थी। आत्मा की शांति के लिए गढ़ मुक्तेश्वर में पिंडदान और दीपदान किया था।
4.देवी तुलसी बैकुंठ धाम गई
मान्यताओं के अनुसार तुलसी का विवाह देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप के साथ हुआ। पूर्णिमा के दिन तुलसी बैकुंठधाम गई।
5.सिख धर्म की स्थापना हुई
सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्त्व है। मान्यता है कि इस दिन सिख धर्म की स्थापना हुई थी और इस धर्म में प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था।
सिख धर्म के अनुयायी इस दिन को प्रकाश उत्सव के रूप में मनाते हैं।
उत्सव का स्वरूप:
दीपों की सजावट: गंगा नदी के घाटों पर हजारों दीप जलाए जाते हैं। पूरा वातावरण दिव्य और अद्भुत हो जाता है।
2. गंगा आरती: वाराणसी में गंगा आरती का आयोजन बहुत विशेष होता है। इसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
3. सांस्कृतिक कार्यक्रम: इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगीत, और नृत्य का आयोजन किया जाता है।
4. पर्व स्नान: श्रद्धालु गंगा स्नान करके पूजा-अर्चना करते हैं।
देव दीपावली का यह पर्व न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा की समृद्धि को भी दर्शाता है।
देव दीपावली , कार्तिक पूर्णिमा, श्री गुरु नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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