29 मई ,बुधवार, दिल्ली के एक मौसम स्टेशन ने अधिकतम तापमान 52.9° सेल्सियस दर्ज किया। यह न केवल राजधानी के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए अब तक का सबसे अधिक तापमान है। 50° से अधिक तापमान दुर्लभ होता है, यहां तक कि तीव्र गर्मी की लहरों के दौरान भी, इसलिए इस रीडिंग ने पर्यवेक्षकों को चौंका दिया।
जब तापमान 46 डिग्री से अधिक हो और गर्म लू चल रही हों तो हमें कुछ उपाय हैं जिन्हें सुरक्षित, स्वस्थ और फिट रहने के लिए पालन करना चाहिए जो विशेषज्ञों द्वारा बताए गए हैं।
इस साल गर्मी अपने चरम पर है। दिल्ली के कुछ हिस्सों में 52 डिग्री तापमान दर्ज किया गया है और हीट-वेव की चेतावनी भी जारी की गई है। कई अन्य राज्य भी तप रहे हैं। बढ़ती गर्मी के साथ, हीट स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। "बदलती जलवायु हमारे आसपास के वातावरण को बदल देगा, जिससे वनस्पति और फसलों को अप्रत्याशित गर्मी के कारण नुकसान होगा। वनों में आग लगने की घटनाएं अधिक हो जाएंगी, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ेगा।
अत्यधिक तापमान हमारे शरीर पर निश्चित रूप से दबाव डाल देगा। यही कारण है कि हम अक्सर लोगों को उच्च बुखार, आंतों और रक्तचाप की समस्याओं से पीड़ित देखते हैं, जो मृत्यु का कारण बन सकती हैं। अत्यधिक गर्मी के कारण शरीर को ठंडा होने में कठिनाई होती है, जिससे हीट क्रैंप्स, हीट एक्सहॉर्शन या यहां तक कि हीटस्ट्रोक (जिसे सनस्ट्रोक भी कहा जाता है) हो सकता है।"
जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है वैसे -वैसे हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। आपको या आपके आस- पास किसी को भी तेज या हल्का सिरदर्द , चक्कर आना, पसीना न आना, ठंडी - पीली चिपचिपी त्वचा, मांसपेशियों की कमजोरी या ऐंठन, मतली और उल्टी, तेज धड़कन जो मजबूत या कमजोर हो सकती है, तेजी से और उथली सांस लेना, और व्यवहार में बदलाव जैसे भ्रम, दिशा भ्रम, या लड़खड़ाना, साथ ही बेहोशी जैसे कोई भी लक्षण महसूस हों या दिखाई दें , तो इन लक्षणों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए ताकि समय पर जांच हो सके और किसी भी अनहोनी से बचा जा सके।
आप सभी भी महसूस कर रहें हैं कि आजकल हम बहुत अधिक गर्मी झेल रहे हैं। जिसके पूर्णतः जिम्मेदार हम खुद हैं। हमने विकास के नाम पर अंधाधुंध वृक्षों की कटाई करी और उनके स्थान पर नये वृक्ष ना के बराबर ही लगाए , जिसका परिणाम यह भीषण गर्मी है।
अत्यधिक गर्मी, जैसे 50 डिग्री सेल्सियस (122 डिग्री फारेनहाइट), ना सिर्फ हम सब मनुष्यों के लिए बल्कि अन्य जीव - जंतुओं, जलचरों, वन्यजीवों , पशु-पक्षियों और हमारी बहुमूल्य वनसंम्पदा के लिए भी बहुत खतरनाक और संभावित रूप से घातक हो सकती है। ऐसे उच्च तापमान के लंबे समय तक संपर्क में रहने से हीट एक्सहॉर्शन, हीटस्ट्रोक, और डिहाइड्रेशन जैसी गर्मी से संबंधित बीमारियाँ हो सकती है।
मानव का शरीर अधिकतम 42.3 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बर्दाश्त कर सकता है । हमारे शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) है। जब शरीर का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, तो उसे बुखार कहा जाता है, जो एक हीट वेव स्थिति में हाइपरथर्मिया का कारण बन सकता है। यह हमारे मस्तिष्क के लिए ख़तरनाक हो सकता है। ये हमारे मस्तिष्क के प्रोटीन को डीनेचर करके उसे भंयकर नुकसान पहुंचा सकता है।
हीटस्ट्रोक हमारे जीवन के लिए ख़तरनाक स्थिति है ,जो जब शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो जाता है तब होती है। इसकी वजह से व्यक्ति को भ्रम, घबराहट, बेहोशी , दौरे और अज्ञानता का अनुभव हो सकता है।
विशेष रूप से हीटस्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है। वो तब हो सकती है जब हमारे शरीर की तापमान नियंत्रण प्रणाली विफल हो जाती है, जिससे शरीर का तापमान खतरनाक रूप से बढ़ जाता है।
हीटस्ट्रोक के लक्षणों में -
# उच्च शरीर का तापमान,
# मानसिक स्थिति या व्यवहार में परिवर्तन,
# मतली, उल्टी,
# लाल त्वचा,
# तेजी से सांस लेना और
#तेज धड़कन शामिल हो सकते हैं।
यदि इसका इलाज न किया जाए तो हीटस्ट्रोक घातक या जानलेवा भी हो सकता है।
गर्मी की थकान (Heat exhaustion)
गर्मी का थकान हीटस्ट्रोक से कम गंभीर स्थिति है, लेकिन यह भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। हमारा शरीर भारी पसीना बहा सकता है जिससे हमारी त्वचा पीली हो जाती है। अन्य लक्षणों में मतली, उल्टी और चक्कर आना शामिल हो सकते हैं।
तनाव
जब शरीर उच्च तापमान में आवश्यक तरल प्राप्ति करने के कारण तनाव से गुजरता है, तो शरीर को सूखा मुंह, प्यास, थकान और चक्कर आ सकते हैं।
रक्तसंवाहक नलियों का विस्तार ( Blood vessels expansion)
उच्च तापमान पर, त्वचा की सतह के पास की रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं और रक्त इनके माध्यम से प्रवाहित होने लगता है। इस प्रक्रिया को वासोडाइलेशन कहा जाता है। यह तंत्र उन क्षेत्रों में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है जो ऑक्सीजन या पोषक तत्वों की कमी से जूझ रहे होते हैं।
मांसपेशियों की ऐंठन
जब शरीर को पर्याप्त तरल या इलेक्ट्रोलाइट नहीं मिलते तो मांसपेशियों की ऐंठन भी हो सकती है।
उच्च रक्तचाप ( Increased Heart rate)
अधिक गर्मी में हमारे शरीर को ठंडा करने के तंत्रों का समर्थन करने के लिए और उन्हें पर्याप्त रक्त प्रदान करने के लिए हृदय तेजी से धड़कता है, तो पहले से मौजूदा हृदय समस्याओं वाले लोगों को अतिरिक्त सावधानियां लेनी चाहिए।
डिहाइड्रेशन
जब उच्च तापमान पर शरीर में तरल पदार्थ की कमी होती है, तो शरीर को सूखा मुंह, प्यास, थकान और हल्का सिरदर्द हो सकता है।
हीट रैश
हीट रैश एक सामान्य त्वचा स्थिति है जो तब होती है जब पसीने की ग्रंथियां बंद हो जाती हैं, और त्वचा पर छोटे, लाल दाने बन जाते हैं।
अत्यधिक गर्मी की स्थिति में कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी है, जो गर्मी से होने वाली गंभीर समस्याओं से बचने में सहायक हैं। जैसे-
हमें क्या करना चाहिए:
-हाइड्रेटेड रहे मतलब पानी, जूस, लस्सी, छाछ आदि समय समय पर पीते रहना चाहिए। बहुत सारा पानी पिएं, भले ही आपको प्यास न लगी हो।
- बाहर के खाने की बजाय घर का बना खाना अधिक खाएं।
- पूरे दिन ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन, लस्सी, नींबू पानी, छाछ जैसे तरल पदार्थों का सेवन करें।
- ग्रीष्मकालीन फल जैसे तरबूज, खरबूजा, और खीरा खाएं।
- हमेशा अपने साथ पानी की बोतल रखें।
- हल्के कपड़े पहनें और शरीर को ठंडा रखने के लिए दिन में दो बार स्नान करें।
- छाया या वातानुकूलित स्थान पर रहना
- दिन के सबसे गर्म हिस्से के दौरान जैसे कि दोपहर 12 से 4 बजें के समय कठिन गतिविधियों से बचना चाहिए, खासकर कमजोर व्यक्तियों जैसे बुजुर्ग, छोटे बच्चे और पहले से बीमार व्यक्तियों को इस बात का ज्यादा ख्याल रखना चाहिए कि वो अत्यधिक गर्मी महसूस होने पर कोई कार्य ना करें।
-प्राणायाम करना इस गर्मी के दौरान आपके स्वस्थ के लिए लाभदायक हो सकता है। "सांस लेने के व्यायाम आपके शरीर को बाहरी तापमान से लड़ने में मदद करते हैं। ये आपकी आंतरिक प्रणाली के लिए प्राकृतिक शीतलक होते हैं। गर्मी आपको अधिक चिड़चिड़ा और गुस्सैल बना सकती है और ये प्राकृतिक योगासन आपके मन की शांति बनाए रखने में सहायक होते हैं।"
-गर्मियों के दौरान हमें हल्के व्यायाम करने चाहिए और शरीर को पर्याप्त आराम भी देना चाहिए ।
-हमें भीषण गर्मी में अत्यधिक मेहनत नहीं करनी चाहिए और योगाभ्यास करते समय ये ध्यान रखें कि आप पर्याप्त रूप से हाइड्रेटेड हैं।"
हमें क्या नहीं करना चाहिए :
- पीक आवर्स जब अत्यधिक गर्मी हो तब रसोईघर में खाना बनाने से बचें। दरवाजे और खिड़कियाँ खोलकर रसोई को ठीक से हवादार करें।
- उच्च प्रोटीन सामग्री वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- जंक फूड, कार्बोनेटेड पेय और बचे हुए खाने से बचें।
- सड़क किनारे विक्रेताओं से पानी पीने से बचें।
- सिंथेटिक कपड़े पहनने और सीधे धूप में खड़े होने से बचें।
यदि आप या आपका कोई जानने वाला व्यक्ति गर्मी से संबंधित बीमारियों के लक्षण अनुभव कर रहा है, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेना महत्वपूर्ण है। गर्मी से संबंधित बीमारियाँ, विशेषकर 50 डिग्री सेल्सियस जैसी अत्यधिक गर्मी में, तेजी से गंभीर और घातक हो सकती हैं।
Comments